Wednesday, October 13, 2010

कविता - उजाला

दीप की लौ सा जलोगे
तब उजाला कर सकोगे
आसमान के सितारों
सूर्य सा जब तुम जलोगे
तब उजाला कर सकोगे ।
आँख में पानी न हो तो
आँख कैसे बच सकेगी
गर उजाला देखना हो
आंसुओं से आँख भर लो
आंसुओं से गर जिगर तुम
कर सकोगे तर हमेशा
तब उजाला कर सकोगे ।
दीप की लौ सा जलोगे
तब उजाला कर सकोगे ।

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