Wednesday, October 13, 2010

कविता - अधर मुस्कराए , नयन छलछलाए

अधर मुस्कराए
नयन छलछलाए
ह्रदय की कहानी
ह्रदय में दबाये
जिए जा रहा हूँ
तेरी याद में
अपनी नज़रें बिछाए ।
कभी तो रवानी
तेरी ज़ुल्फ़ की
तेरे माथे की बिंदिया से
कुछ तो कहेगी
तेरी मेरी बातों को
सपनों की रातों को
अश्को की थाली में जैसे नहाये
अधर मुस्कराए
नयन छंछ्लाये ।
चूड़ियाँ खंखानाएं
तेरे हाथ की तो
लगे मेरे ज़ेहन में
बरसों समाये
कोई शख्स दामन
बचाने की तरकीब
सोचे बनाये
अधर मुस्कराए
नयन छलछलाए ।
अब तो बगीचे की
अम्रायीआ हों
या ख्वाबों में बजती
शह्नाईआ हों
वीराना वीराना ये मंज़र तो देखो
बरसते ये ओलों के खंज़र तो देखो
बहुत हो गया अब तो
सपने रुलाये
अधर मुस्कराए
नयन छलछलाए
ह्रदय की कहानी
ह्रदय में दबाये
जिए जा रहा हूँ
तेरी याद में
अपनी नज़रें बिछाए ।

कविता - विनिमय

आत्मीय संबंधों में
विनिमय का सिद्धांत
क्यों लागू करते हो
मेरे दोस्त
विनिमय का सिद्धांत तो
बाज़ार में
लागू होता है ।

कविता - वस्तु

हमने सुना है
वस्तुएं टूटती हैं
तो आवाज़ होती है
आदमी टूटता है
तो आवाज़ नहीं होती ।
वस्तुएं टूटती हैं
तो जुड़ भी जाती हैं
आदमी टूटता है
तो जुड़ता नहीं है ।
हमने माना
की हमारे सम्बन्ध
टूट गए हैं
फिर भी
जुड़ तो सकते हैं
आज के दौर में
हम भी तो
वस्तु हो गए हैं ।

कविता - रिश्ता

आसमान में
तारों का
और जिंदगी में
रिश्तों का
टूटना
एक ही बात है
क्योंकि
जिंदगी
ज़मीन पर
आसमान की
अमानत है ।

कविता - चरित्रहीन

आवरण हीन हूँ
इसलिए
चरित्रहीन हूँ ।

कविता - मंडेला मेरा प्यार , मंडेला मेरा विश्वास

जिस दिन
मंडेला को
विश्व का
सर्वोच्च पुरस्कार मिला
अपने प्यार का नाम
मैंने मंडेला रख दिया ।
जिस दिन
दक्षिण अफ्रीका का भाग्य
मंडेला के हाथ
सौंपा गया
अपने विश्वास का नाम
मैंने मंडेला रख दिया ।
जिस दिन
रंगभेदी निराशा पर
लोकतान्त्रिक आशा की
विजय हुई
अपनी आशा का नाम
मैंने मंडेला रख दिया ।
हुई

कविता - उजाला

दीप की लौ सा जलोगे
तब उजाला कर सकोगे
आसमान के सितारों
सूर्य सा जब तुम जलोगे
तब उजाला कर सकोगे ।
आँख में पानी न हो तो
आँख कैसे बच सकेगी
गर उजाला देखना हो
आंसुओं से आँख भर लो
आंसुओं से गर जिगर तुम
कर सकोगे तर हमेशा
तब उजाला कर सकोगे ।
दीप की लौ सा जलोगे
तब उजाला कर सकोगे ।